#SHODH #SAMIKSHA #MULYANKAN #RESEARCH #JOURNAL #MULTILINGUAL #INTERDISCIPLINARY #MONTHLY #PEERREVIEWED #REFEREED
SHODH SAMIKSHA AUR MULYANKAN- This an International Level Registered Refereed Indexed Multilingual Interdisciplinary monthly Reserch Journal. We have a skillful Editorial Board and a Review Board for valuating the Research Papers For all important instrections and rules clik here DOWNLOAD FORM or above menu DOWNLOAD you can get this formAfter compliting all procedure then we publish that research paper why because our motto to maintain the Quality of Research and Research Paper.If you want to send your research paper online you click here SUBMIT ONLINE PAPER,or above menu bar you can submit online paper.
Special notice-
Apart from the research paper, the authors who wish to publish their published / unpublished dissertation or the review of their book in this research journal, are also welcome. Phone can be contacted for more information.
The internationally recognized research journal -SHODH SAMIKSHA AUR MULYANKAN WAS recognized, approved and listed by the University Grants Commission, New Delhi.UP TO JUNE-2019 BUT NOW NOT IN CARE.
This research journal is interdisciplinary with multilingual indexed and impact factor.
This research journal is monthly and has been continuously being published for last 9 years. Prior to publishing research paper, the process of publication begins only after thorough research of the subject-expert research paper and after submitting its recommendation. Following the peer review method, all criteria are met.
There is a team of experts of every subject, in which any research paper has to pass at least three levels. Those who do not compose their writings in accordance with author research methodology, their composition is included in the article, whose information is given to the respective author. Generally, there are three important words in the name of this research journal:
1 SHODH
2 SAMIKSHA
3 MULYANKAN
The objective of incorporating these three words was to discuss the research first, then the research done or the research related book written or the research paper was written on it, the reviewer related to that topic detailed his review with his verb reaction. In the end, in the third section, the professor professors should be evaluated fairly by applying the subject so that the learner And the university or research institutes can get fair benefits but the issue of regret is that we have not yet achieved this objective completely. Hopefully in the future we will be able to achieve success in achieving our goal. This is only possible when the researcher researches with full sincerity and integrity and writes research paper. To abandon the tendency to duplicate it or to abandon the mentality of changing the language or sense.
SHODH SAMIKSHA AUR MULYANKAN- Research Journal deals with the research scholars, professors, researchers, writers, critics, critics, guide directors of all subjects of the world, this research journal that is based on the ideology of Vasudev Kutumbkam, so we request everyone Wherever we do not seem to be fair, you warn us. We will have to comply with the rules and regulations that have been created to run the research journal in a smooth manner. Thank you for your upliftment and development, giving us your suggestions from time to time.
विशेष सूचना-
जो लेखक अपने प्रकाशित/अप्रकाशित शोध प्रबंध अथवा अपनी पुस्तक की समीक्षा इस रिसर्च जर्नल में प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो उनका भी स्वागत है। अधिक जानकारी हेतु दूरभाष से सम्पर्क किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रजिस्टर्ड उक्त शोध पत्रिका- शोध समीक्षा और मूल्याङ्कन अब यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन नई दिल्ली द्वारा मान्यता ,स्वीकृत और लिस्टेड हो चुकी है
ये रिसर्च जर्नल इंटरडिसिप्लिनरी मल्टीलिंगुअल इंडेक्स्ड और इम्पैक्ट फैक्टर के साथहै।
ये रिसर्च जर्नल मासिक है और गत 9 वर्षों से निरंतर प्रकाशित हो रही है। रिसर्च पेपर प्रकाशित होने से पूर्व विषय विशेषज्ञ रिसर्च पेपर की गहन जाँच करके अपनी अनुशंसा प्रेषित करने के उपरांत ही प्रकाशन की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। पीयर रिव्यु विधि का अनुसरण करते हुए सभी मापदंड पूर्ण करने की चेष्टा की जाती है।
हरेक विषय के विषय विशेषज्ञों की टीम बनी हुई है जिसमे कम से कम तीन स्तर से किसी भी रिसर्च पेपर को गुजरना पड़ता है। जो ऑथर रिसर्च मेथोडोलॉजी के अनुरूप अपनी रचना नहीं लिखते उनकी रचना आर्टिकल के अंतर्गत सम्मिलित की जाती है जिसकी सूचना सम्बंधित लेखक को दे दी जाती है। सामान्यतः इस रिसर्च जर्नल के नाम में तीन महत्व पूर्ण शब्द हैं
1 शोध
2 समीक्षा
३ मूल्याङ्कन
इन तीनों शब्दों को सम्मिलित करने का उद्देश्य यही था की सबसे पहले रिसर्च की बात करे फिर जो रिसर्च हुई या जो रिसर्च सम्बन्धी पुस्तक लिखी गई है अथवा जो रिसर्च पेपर लिखा गया उसपर उस विषय से सम्बंधित समीक्षक अपनी क्रिया प्रतिक्रिया के साथ विस्तृत रूप से समीक्षा करे और अंत में तीसरे सेक्शन में विद्वान् प्रोफेसर, विषय मर्मज्ञ द्वारा निष्पक्ष रूप से मूल्याङ्कन किया जाये ताकि शोधार्थी और यूनिवर्सिटी अथवा शोध संस्थानों को उचित लाभ प्राप्त हो सके लेकिन खेद का विषय है हम अभी तक इस उद्देश्य को पूर्णतः प्राप्त नहीं कर सके हैं। आशा है भविष्य में हम अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता हासिल कर पाएंगे। ये तभी सम्भव है जब शोधार्थी पूरी गंभीरता और निष्ठां के साथ रिसर्च करे और रिसर्च पेपर लिखे. उसे नक़ल करने की प्रवृति को त्यागना होगा या भाषा अथवा भाव को बदलने के मानसिकता को भी छोड़ना होगा।
शोध समीक्षा और मूल्याङ्कन रिसर्च जर्नल संसार के समस्त विषयों के रिसर्च स्कॉलर, प्रोफेसर, अनुसन्धानकर्ताओं,लेखकों आलोचकों, समीक्षकों मार्ग निर्देशकों से समानता का व्यवहार करती है , वासुदेव कुटुंबकम की विचारधारा पर चलने वाली ये रिसर्च जर्नल समदृष्टा है अतः हम सभी से अनुरोध करते हैं की जहाँ कहीं हम उचित नहीं प्रतीत हो आप हमें सचेत कर दे। रिसर्च जर्नल को सुचारु रूप से चलने हेतु जिन नियम का सृजन किया गया है उनकी अनुपालना हमें और आपको समभाव करनी होगी। इसके उत्थान और विकास हेतु आप हमें अपने सुझाव समय समय पर देते रहे, आप के आभारी रहेंगे।